My rating: 3 of 5 stars
यह पुस्तक लेखक की धर्मवीर भारती द्वारा कृत गुनाहों के देवता को श्रद्धांजलि/सम्मान है, जिसमें जाने-पहचाने पात्र मूल संस्करण का आधुनिक रूप को निभा रहे हैं – अश्रु-भरी सुधा, अहंकारी चंदर और मिलनसार पम्मी । यहाँ तक कि सुधा की प्रिय गतिविधि का भी उल्लेख किया गया है।
सुधा घंटों रोती रही।प्रारंभिक भाग की अंग्रेजी और हिंदी का मिश्रण (hodge-podge)– एक प्रकार की खिचड़ी – अनुचित लगती है । यह है आधुनिक युवाओं की भाषा - संभवतः वर्तमान युवा पीढ़ी यही एस एम् एस जैसी भाषा पसंद करती हो ।
एक बार जब मुख्य पात्रों का अंतहीन, अप्रासंगिक और अर्थहीन वार्तालाप समाप्त हो जाता है, तो लेखन गति पकड़ लेता है और हिंदी तक मुख्यतः सीमित हो जाता है - कुछ सार्थक अंतर्दृष्टि जैसे
किसी को समझना हो तो उसकी शेल्फ में लगी किताबों को देख लेना चाहिए, किसी की आत्मा समझनी हो तो उन किताबों में लगी अंडरलाइन को पढ़ना चाहिए।वृतांत को रोचक बना देती हैं
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