Thursday, February 1, 2024

फणीश्वरनाथ रेणू कृत पलटू बाबू रोड

पल्टू बाबा रोडपल्टू बाबा रोड by फणीश्वर नाथ रेणु
My rating: 5 of 5 stars

इस मनोरंजक और प्रफुल्लित करने वाले उपन्यास में नव-स्वतंत्र भारत के राजनेताओं, नौकरशाहों, व्यापारियों और आम लोगों की कमजोरियों को खूबसूरती से चित्रित किया गया है, विशेष रूप से एक छोटे से काल्पनिक कसबे (mofussil township) के निवासियों की गतिविधियों का वर्णन उल्लेखनिय है। 'रेणु' की लेखन की निराली अनूठी शैली छोटे शहरों के गरीबों की क्षेत्रीय बोली और परंपराओं का सार दर्शाती है। Homophone शब्दों का यह अभिनव प्रयोग कथा के वातावरण को सटीकता से दर्शाता है।
ब्रेसरी: brassiere
धनभाग: धन्यवाद
पाट: part
फुटगोल: football
भोलंटियर: volunteer
डिस्टीबोट: district board
हरमुनियाँ रोग: hernia
हिमापोथी दवा: homoeopathy
ठेठर: theatre
नारवास: nervous
हनिबूल: honeymoon
स्थानीय हलवाई की दूकान के बाहर यह छोटा सा अंतराल जहां ग्राहक एक खड़ूस वृद्ध और एक युवा महिला-वकील के बीच होने वाली शादी के बारे में गपशप कर रहे हैं
फत्तू खलीफा ने कचौड़ी खाते हुए स्टूडेंट से पुछा - कहिये तो बाबू, हनीमून का क्या माने होता है अंग्रेजी में?
विद्यार्थी ने कहा - हनि माने शहद, और मून माने चाँद।
- तो टोटल माने हुआ जाकर के - शहदचांद?
- शहदचांद
- क्या कहा? कुन्तला क्रिस्तान हो जाएगी?
यह राजनेताओं का व्याप्त पाखंड तथा लज्जाजनक कामुक्ता का एक उदाहरण है
यह मुरली बाबू जिसको देखते ही मैं, तुम एवं हमारे परिवार-भर के लोग श्रद्धा से, आदर से सिर झुका लेते हैं, जिसके भाषण को सुनने के लिए दूर-देहात के लोग उमड़ पड़ते हैं, जिला कांग्रेस में जिसको नए खून का नेता माना जाता है, वही मुरली बाबू चोली-अंगिआ, ब्लॉउज-ब्रेसरी के समस्या पर बीजू-दी से बात करता है। छबि के साथ अभद्रता कर सकता है। लेकिन, सारे समाज की समस्याओं को सुलझाने का सूत्र भी यही देते हैं। आश्चर्य की बात है न? तो, तुमने देख लिया कि किस तरह व्यक्तिगत रूप से, एक विकारग्रस्त व्यक्ति सामाजिक कल्याण के बातें सोच सकता है। कर सकता है ...।
गृह क्लेश की एक झलक
सभी तो देश का काम करते हो। फिर, आपस में यह लड़ाई क्यों? एक घर में वैष्णव और शाक्त रहते हैं, लड़ाई तो नहीं करते?
घंटा बोला - यदि वैष्णव की बिल्ली, शाक्त की मछली चुराकर खा जले - तब भी नहीं ?
जहाँ परती : परिकथा में लेखक का वैकल्पिक-अह्म (alter-ego) 'मीत' नामक एक कॉकर-स्पैनियल था, इस कथा में वह 'रूपन' नाम का एक पिंजरे में बंद तोता है।
एक अत्यंत रोचक व अविस्मरणीय लघु-उपन्यास …

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