Monday, February 5, 2024

मनोहर श्याम जोशी कृत क्याप

क्यापक्याप by Manohar Shyam Joshi
My rating: 4 of 5 stars

जातिवाद, साम्यवाद, समाजवाद - सामान्य तौर पर राजनेता, नौकरशाही पर शानदार तीखा व्यंग्य (satire)। वन्यजीवों, लकड़ी, जड़ी-बूटियों, खनिजों आदि जैसे प्राकृतिक संसाधनों के शोषण का एक तीव्र आरोप, जैसा कि कुख्यात पहाड़ी विल्सन The Raja of Harsil: The Legend of Fedrick "Pahari Wilson" द्वारा शुरू किया गया था और वर्तमान व्यवस्था द्वारा भी जारी है - दोनों - कानूनी रूप से सरकारी एजेंसियों द्वारा और अवैध रूप से 'माफिया' द्वारा।
इसमें आरएसएस के आदर्शवादी श्री हेडगेवार की ओर संकेत है - यहां वह कम्युनिस्टों के पार्टी के मुख्यविचारक (party idealogue) हैं - 'डाक्साब'।
कथा उत्तराखंड के एक काल्पनिक क़स्बा व जनपद में स्तिथ है। यह विफल एवं अनबिलाषित प्रेम (unrequited love), प्रतिशोध और पागलपन की कहानी भी है।
अत्यंत रोचक व हास्यपूर्ण रचना।

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