Tuesday, January 31, 2023

पीली आंधी by प्रभा खेतान

एक छुपा हुआ अतुल्य साहित्यिक रत्न

अकाल की चपेट से पीड़ित व राजा के रूप में डकैत द्वारा लूटपाट से खिन्न, एक क्लांत प्रवासी मारवाड़ी परिवार की कथा । भूखे-नंगे अति दरिद्र दशा में रोते  बिलखते बालकों सहित यह सुजानगढ़ से किसी तरह धनबाद पहुँचते हैं। तत्पश्चात घोर परिश्रम द्वारा अपने छोटे से व्यवसाय की वृद्धि कैसे करते हैं, उसका अति रोचक वृतांत लेखिका ने प्रस्तुत किया है ।  स्वतंत्रता पूर्व से लेकर वर्तमान तक का पहल खंड अत्यंत पठनीय है ।

मारवाड़ियों के गुणसूत्र (genes) में व्यापारिक कौशल्य है। प्रारम्भ में वहाँ बसे हुए मारवाड़ी सम्प्रदाय के धनिक व संपन्न व्यापारी नए आगुन्तकों की सहायता करते हैं । वैवाहिक संबंधों से यह बंधन और गहन हो जाते हैं। शनैः शनैः परिवार का उत्थान व विस्तार होता है, परन्तु विधि का सिद्धांत है कि सम्पत्ति, यश, धन कभी स्थाई नहीं रहते लक्ष्मी रूठ जाती है, जिसके कारण आलस्य, अकर्मण्यता, भ्रष्टाचार, कामेच्छा, मदिरा पान, रोग, पारिवारिक मूल्यों का पतन होते हैं। 

इस महाकाव्य में मारवाड़ी समुदाय के रीती, धार्मिक अनुष्ठान का सटीक वर्णन है। पारिवारिक कलह, क्लेश, बहु-बेटियों की नोक-झोंक और तर्क-वितर्क दर्शाया गया है। एक उदाहरण:

सोमा की आवाज़ पापड़ों की चरमराहट में डूब गयी। कोई तोड़ रहा था। कोई उसको कढ़ी के साथ चूरा बना कर खाना चाहता था। कोई यो ही मुंह में चबा रहा था।  मारवाड़ियों के खाने में पापड़ एक ऐसी चीज़ है जो खाने की मेज पर शोर मचाए बिना नहीं मानता।

मारवाड़ी शब्दों के अर्थ हेतु शब्दावली (glossary) वाँछनीय थी

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