Saturday, October 14, 2023

सुभद्रा कुमारी चौहान की संपूर्ण कहानियाँ

(Subhadrakumari Chauhan Ki Sampoorna Kahaniyan) (Hindi Edition)(Subhadrakumari Chauhan Ki Sampoorna Kahaniyan) by Subhadra Kumari Chauhan
My rating: 3 of 5 stars

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
ये अमर और प्रेरक पंक्तियाँ प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई थीं।
पद्य की अपनी अन्य रचनाओं के अतिरिक्त, उन्होंने गद्य भी लिखा है। उनकी कहानियाँ का यह संकलन वीरता और देशभक्ति की इतनी ऊंचाइयों की आकांक्षा नहीं करता है - बल्कि ये मार्मिक कहानियाँ भारत के स्वतंत्रता-पूर्व व -पश्चात काल के पितृसत्तात्मक और जातिवादी समाज में जीवित रहने की कोशिश करने वाली सामान्य महिलाओं के बारे में हैं।
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एक उदहारण:
चैती पूर्णिमा ने संध्या होते-होते धरित्री को दूध से नहला डाला। बसंती हवा के मधुर स्पर्श से सारा संसार एक प्रकार के सुख की आत्म-विस्मृति में बेसुध-सा हो गया। आम की किसी डाल पर छिपी हुए मतवाली कोयल पंचम स्वर में कोई मादक रागिनी अलाप उठी। वृक्षों के झुरमुट के साथ चांदनी के तड़के अठखेलियां करने लगे; परन्तु मेरे जीवन में न सुख था और न शान्ति।
यदा-कदा कथा अपेक्षाकृत सरल और विचित्र व् असमान्य सी है और कहीं-कहीं नैतिकता कुछ अधिक ही झलकती है...

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