Thursday, February 23, 2023

निर्मला मुंशी प्रेमचंद

निर्मलानिर्मला by Munshi Premchand
My rating: 3 of 5 stars

प्रेमचंद की असीम कष्ट की कहानी एक नगरीय परिवेश में स्तिथ है। इसमें एक दुर्भाग्यपूर्ण महिला की कहानी का वृतान्त है, जिसे मिथ्याबोध, संदेह, लोलुपता, अहंकारी व्यक्तित्व और, सबसे बढ़कर, गरीबी के कारण घोर निराशा व यातना का सामना करना पड़ा। कथानक में कई अप्रत्याशित मोड़ और घुमाव आते रहते हैं तथा कहानी शीघ्रता से आगे चलती है।
निम्न उदहारण भाषा का सुन्दर उपयोग दर्शाते हैं
निशा ने इंदु को परास्त करके अपना साम्राज्य कर लिया था। उसकी पैशाचिक सेना ने प्रकृति पर आतंक जमा रखा था, सद्वृत्तियाँ मुँह छिपाये पड़ीं थीं और कुवृत्तियाँ विजय-गर्व से इठलाती फिरती थीं। वन में वन्य-जन्तु शिकार की खोज में विचरण कर रहे थे और नगरों में नर-पिशाच गलियों में मँडराते फिरते थे।

कृष्णा की उत्सुकता और यह उमंग देखकर उसका हृदय किसी अलक्षित आकांक्षा आंदोलित हो उठा। ओह! इस समय इसका हृदय कितना प्रफुल्लित हो रहा है। अनुराग ने इसे कितना उन्मत कर रखा है।
इस रचना को मैं मुंशी प्रेमचंद की उत्कृष्ट कृतियों में नहीं गिनूंगा​, अतः, छोटा मुँह और बड़ी बात, मैं तीन सितारों का दर-निर्धारण करता हूँ।


View all my reviews

No comments:

Post a Comment