Wednesday, October 26, 2022

Shekhar Ke Jiwani: Part 1 by सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'

Shekhar Ek Jeevani: Part-1Shekhar Ek Jeevani: Part-1 by सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
My rating: 2 of 5 stars

यह हिन्दी साहित्य की उत्कृष्ट रचनाओं में से एक मानी जाती है। हालाँकि, मैं थोड़ा अभिभूत रह गया था। शायद यह थोड़ा बहुत लंबा-घुमावदार और धीमी गति से चलने वाला था। शायद मैं उपन्यास की सेटिंग के ऐतिहासिक संदर्भ से अपनी पहचान नहीं बना पाया। बहरहाल, गेय भाषा और शुद्ध हिंदी शब्दों का प्रयोग पढ़कर अच्छा लगा। अब मैं दूसरा भाग शुरू करूँगा। वर्णन तेज गति से प्रतीत होता है।
एक प्रकम्पमय दीप्ती, शरत्काल में सेंकी हुई आग की मीठी गरमाई, उसमें है बेला के स्वर-सा घनत्व, उसमें है उषा के समय दूर पहाड़ पे बजती हुई बीन की खींची हुई वेदना, उसमें है बरसात की घोर अँधेरी रात में सुनी हुई वंशी का मर्मभेदी आग्रह और इन सब के साथ-साथ है यौवन के गहरे और टूटने की सीमा तक आकर न टूटने वाले स्वर की ललकार-सी।
A murder scene
तट पर छोटी झाड़ियां और ठूँठे वृक्षों का घना जंगल। खींची हुई आह की तरह गर्म और निस्तब्ध रात। ऊपर पेड़ों की सूखी शाखा में उलझा हुआ एकाध तारा, नीचे मरे हुए और धूल हुए पत्तों की सूखी आहों की भाफ और सामने .... एक बिखरा हुआ शव। उसके दोनों हाथ कटे हुए हैं। एक पैर कटा हुआ है, पेट खुल-सा गया है और उसमे से अँतड़ियाँ बाहर गिरी पड़ी हैं। फटी-फटी आँखें, ऊपर शाखा के जाल को भेदकर देख रहीं हैं किसी तारे को, और मुँह एक बिगड़ी हुई दर्द भरी मुसकुराहट लिए हुए हैं
Were Pink Floyd’s lyrics inspired by this
We don't need no education
We don't need no thought control
No dark sarcasm in the classroom
Teacher, leave the kids alone
Hey! Teacher, leave us kids alone
All in all you're just another brick in the wall
All in all you're just another brick in the wall

शिक्षा देना संसार अपना सबसे बड़ा कर्त्तव्य समझता है, किन्तु शिक्षा अपने मन की, शिष्य के मन की नहीं। क्योंकि संसार का 'आदर्श व्यक्ति' व्यक्ति नहीं एक 'टाइप' है, और संसार चाहता है की सर्वप्रथम अवसर पर ही प्रत्येक व्यक्ति को थोक-पीटकर, उसका व्यक्तित्व कुचलकर, उसे उस टाइप में सम्मलित कर लिया जाय. उसे मूल रचना न रहने देकर एक प्रतिलिपि-मात्र बना दिया जाय।
Death
मृत्यु के पंख उस पर से बीत जाते हैं, लेकिन उनकी छाया उसे नहीं ग्रसती, वैसा ही उद्दीप्त छोड़ जाती है मृत्यु के पंखों में बसा है निशीथ का अन्धकार, लेकिन मुक्ति है एक असह्य देदीप्यमान ज्वाला
A new lease of life
इसमे बहुत शक्ति और स्फूर्ति आ गयी है, उसे लगता, उसे जीवन की एक नई क़िस्त मिलने वाली है … वह अपने ही मद में उन्मद कस्तूरी मृग की तरह या प्लेग से आक्रांत चूहे के तरह या अपनी दुम का पीछा करते हुए कुत्ते की तरह, अपने ही आस पास चक्कर काट कर रह जाता …
An encounter with the caste system on joining a boarding school
उनका भोजनागार सब ओर से घिरा हुआ था, ताकि किसी आते जाते व्यक्ति के कारण उनके भोजन में 'दृष्टिदोष' न हो जाए, वह छोटी जाति देखा जाकर भ्रष्ट न हो जाए। कभी ऐसा हो जाता, तो वह भोजन उतना ही अखाद्य हो जाता जैसे किसी कुत्ते ने उसे झूठा कर दिया। यद्यपि कुत्ते कई बार भोजनाघर में घुस आते थे और उन्हें 'हिश' करके भगा देना पर्याप्त होता था.


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